"हम हैं उन चंद, ज़लीलों में से, जिन्होंने हिमाकत तो की, इश्क़ करने की, मगर, हिम्मत-ए-इज़हार, कर नहीं पाए। किया था आग़ाज़ इश्क़ का, ख़ूब हमने भी, मगर अफ़सोस के अंजाम तक, पहुँचा न पाए।"
"है खामोश मेरी हर सुबह, है तन्हा मेरी हर रात, तू आ आकर मेरे हर पल को, महफ़िल कर दे। था काला मेरा हर कल, है अँधेरा मेरा हर आज, तू आ आकर मेरी ज़िंदगी को, रोशन कर दे। तड़प रही है रूह मेरी, जल रहा रोम-रोम, तू आ आकर इस दिल पर, मरहम कर दे।"
"कब से ज़िंदा हूँ मैं अपनी हसरतों को दिल में समेटे हुए, तू आ, आकर मेरी हसरतों को मुमकिन कर दे। वादा करता हूँ, वादा करता हूँ, करूँगा वफ़ा इस क़ायनात तक, फिर चाहे ये ज़मीं, ये आसमाँ मुझे रुस्वा कर दे। निकलेगी नहीं, निकलेगी नहीं, आह भी कभी इस दिल से मेरे, तू जो एक बार इस दिल पे मरहम कर दे।" कब से ज़िंदा हूँ मैं अपनी हसरतों को दिल में समेटे हुए, तू आ, आकर मेरी हसरतों को मुमकिन कर दे।"
"ऐ खुदा, भटक गया है तेरा बंदा, होकर अनजान राह से अपनी, तू इसे अपनी इनायत की दौलत बख्श दे | रोशन कर जहाँ को खुदाई से अपनी, तू इस जहाँ पर बस इतनी रहमत कर दे।" ऐ खुदा, भटक गया है तेरा बंदा, तू इसे अपनी इनायत की दौलत बख्श दे |"