रहमत

"ऐ खुदा, भटक गया है तेरा बंदा, 
होकर अनजान राह से अपनी,
तू इसे अपनी इनायत की दौलत बख्श दे |

रोशन कर जहाँ को खुदाई से अपनी, 
तू इस जहाँ पर बस इतनी रहमत कर दे।"

ऐ खुदा, भटक गया है तेरा बंदा, 
तू इसे अपनी इनायत की दौलत बख्श दे |"

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