मरहम

"है खामोश मेरी हर सुबह, 

है तन्हा मेरी हर रात, 

तू आ आकर मेरे हर पल को, महफ़िल कर दे।


था काला मेरा हर कल,

 है अँधेरा मेरा हर आज, 

तू आ आकर मेरी ज़िंदगी को, रोशन कर दे।


तड़प रही है रूह मेरी, 

जल रहा रोम-रोम, 

तू आ आकर इस दिल पर, मरहम कर दे।"

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